ISRO Chandrayaan-3 India’s Moon Mission All About and History – चंद्रयान मिशन हुआ सफल, जानें चंद्रयान 1 से लेकर चंद्रयान 3 तक के मिशन की पूरी जानकारी, चाँद पर होती है 14 दिन की रात और 14 दिन का उजाला तो क्या 14 दिन तक ही काम कर पायेगा चंद्रयान 3

Moon Mission

वैसे चाँद पर जाने का तो सबका सपना होगा और क्यों न हो बचपन से चंदा मामा की कहानियां जो सुनते आये हैं। बचपन में सुना था कि चाँद बहुत दूर है पर अब वो दिन दूर नहीं जब इंसान चाँद पर टूर करने जायेगा। जैसा की आप सभी को पता होगा भारत का Chandrayaan-3 यानि तीसरा Moon Mission सफलतापूर्वक पूर्ण हो गया है। अर्थात भारत के सामने यह बड़ी चुनौती थी चंद्रयान 3 को चाँद पर सफलतापूर्वक लैंड करवाना (क्योंकि भारत का Chandrayaan-2 Soft Landing नहीं कर पाया था) जो की 23 August 2023 को सफलतापूर्वक चाँद पर लैंडिंग कर चूका है। यह हमारे देश यानि भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। Chandrayaan-3 Mission पर भारत ने 615 करोड़ रूपये खर्च किये हैं, क्या है इसका मकसद जानिए सम्पूर्ण जानकारी इस एक पोस्ट में।

chandrayaan-3 rocket pslv

India’s Chandrayaan Mission

भारत (इसरो) ने अभी तक चाँद पर जाने के लिए कुल 3 मिशन किये हैं –

  • Chandrayaan-1
  • Chandrayaan-1 चन्द्रमा पर भारत की तरफ से जाने वाला यह पहला Moon Mission था इसे 22 October 2008 को चन्द्रमा पर भेजा गया जो 14 November 2023 को चन्द्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड किया और यह 30 August 2009 तक सक्रिय रहा। चंद्रयान-1 के अभियान को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वीकृति दी थी। यह यान पोलर सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल, पी एस एल वी के एक संशोधित संस्करण वाले रॉकेट की सहायता से अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपित किया गया। इसे चन्द्रमा तक पहुँचने में 5 दिन लगे पर चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित करने में 15 दिनों का समय लग गया। भारतीय अंतरिक्षयान प्रक्षेपण के अनुक्रम में यह 27 वाँ उपक्रम था। इसका कार्यकाल लगभग 2 साल का होना था, मगर नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूटने के कारण इसे उससे पहले बंद कर दिया गया। Chandrayaan-1 के लिए इसरो ने वर्ष 2008 में 386 करोड़ रूपये खर्च किये थे। चन्द्रयान के साथ भारत चाँद को यान भेजने वाला छठा देश बन गया था।
  • Chandrayaan-2
  • चंद्रयान-1 के बाद चन्द्रमा पर और अधिक खोजबीन करने के लिए इसरो ने दूसरा अभियान किया था जिसका नाम Chandrayaan-2 पड़ा। इस अभियान को जीएसएलवी मार्क 3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपित किया गया था। 18 सितम्बर 2008 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस अभियान को स्वीकृति दी थी। भारत ने Chandrayaan-2 को 22 July 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से भारतीय समयानुसार दोपहर 02:43 बजे सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया था। चंद्रयान-2 लैंडर और रोवर को चंद्रमा पर लगभग 70° दक्षिण के अक्षांश पर स्थित दो क्रेटरों मज़िनस सी और सिमपेलियस एन के बीच एक उच्च मैदान पर उतरने का प्रयास करना था। हालाँकि, भारतीय समय अनुसार 6 September 2019 लगभग 1:52 बजे, लैंडर लैंडिंग से लगभग 2.1 किमी की दूरी पर अपने इच्छित पथ से भटक गया था और अंतरिक्ष यान के साथ ग्राउन्ड कंट्रोल ने संचार खो दिया था जिसके कारण Chandrayaan-2 Soft Landing नहीं कर पाया था। 8 सितंबर 2019 को इसरो द्वारा सूचना दी गई कि ऑर्बिटर द्वारा लिए गए ऊष्माचित्र से विक्रम लैंडर का पता चल गया है। परंतु अभी चंद्रयान-2 से संपर्क नहीं हो पाया है। Chandrayaan-2 के लिए इसरो ने वर्ष 2019 में 978 करोड़ रूपये खर्च किये थे।
  • Chandrayaan-3
  • Chandrayaan-2 के Soft Landing नहीं होने पर ISRO भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन ने Chandrayaan-3 को भारतीय समय अनुसार 14 जुलाई 2023 को 2:35 बजे सतीश धवन केंद्र, श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। इस अंतरिक्ष यान ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया, और लैंडर भारतीय समय अनुसार 23 अगस्त 2023 को 18:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक लैंड कर गया। इस उपलब्धि के कारण भारत चन्द्रमा पर लैंड करने वाला चौथा देश व चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश बन गया। चंद्रयान-3 के इस अभियान को सत्र 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्वीकृति दी थी। Chandrayaan-3 के इस मिशन पर ISRO ने 615 Crore रूपये खर्च किये हैं।
all chandrayaan photos

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Chandrayaan-3 चंद्रयान-3

जैसा की हम सभी जानते हैं इसरो का चंद्रयान-3 मिशन पूर्णतया सफल रहा है। और इस मिशन के करने पर भारत चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव (Moon South Pole) पर उतरने वाला विश्व का पहला देश बन गया है जो बहुत ही गौरव की बात है। Chandrayaan-3 को श्रीहरिकोटा से भारतीय समय अनुसार 14 July 2023 को लॉन्च किया गया था जो 23 August 2023 को सफलतापूर्वक चन्द्रमा पर उतर गया था। Chandrayaan-2 की असफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो के सामने Chandrayaan-3 को Soft Landing करवाना यह सबसे बड़ी चुनौती थी। Chandrayaan-3 Soft Landing के बाद प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से बाहर आकर अपने काम में जुट गया है। प्रज्ञान रोवर के द्वारा वहां पर कई वैज्ञानिक प्रयोग किये जा रहे हैं तथा इनके वीडियो और फोटो निरंतर भेज रहा है। Chandrayaan-3 के इस अभियान में इसरो ने जानकारी देते हुए बताया है कि इसमें कुल 615 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं जो बहुत ही कम लागत में चन्द्रमा पर पहुंचा है। चंद्रयान-3 से भारत को चन्द्रमा पर तकनीकी, जीवनयापन, पानी की खोज, भौगोलिक परिस्थितियां, जलवायु आदि की खोज करने में सहायता मिलेगी।

chandrayaan-3 launch rocket

Pragyan Rover क्या है प्रज्ञान रोवर

प्रज्ञान रोवर एक छह पहियों वाला वाहन है जिसका वजन 26 किलोग्राम (57 पाउंड) है। इसका आकार 917 मिलीमीटर (3.009 फीट) x 750 मिलीमीटर (2.46 फीट) x 397 मिलीमीटर (1.302 फीट) है। यह लगभग एक शॉपिंग ट्राली के जितनी साइज का है। Pragyan Rover को Vikram Lander की सहायता से चन्द्रमा पर पहुँचाया गया है। Pragyan Rover Chandrayaan-3 के Soft Landing होने के लगभग 50 मिनट बाद Vikram Lander से बाहर निकलकर चन्द्रमा की सतह पर घूमने फिरने लगा। Pragyan Rover की स्पीड 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड है। प्रज्ञान रोवर पर लगे सोलर पैनल से यह चार्ज होता है।
उम्मीद है कि रोवर चंद्रमा की सतह की संरचना, चंद्रमा की मिट्टी में पानी की बर्फ की उपस्थिति, चंद्र प्रभावों के इतिहास और चंद्रमा के वायुमंडल के विकास में अनुसंधान का समर्थन करने के लिए कई माप लेगा।

Pragyan Rover में दो Payloads लगे हुए हैं –

  1. APXS (Alpha Particle X-Ray Spectrometer) यह उपकरण रासायनिक संरचना प्राप्त करने और खनिज संरचना का अनुमान लगाने में मदद करेगा, जिससे चंद्रमा की सतह की समझ और बढ़ेगी।
  2. LIBS (Laser-Induced Breakdown Spectroscope) यह पेलोड चंद्रमा की मिट्टी और लैंडिंग स्थल के आसपास की चट्टानों की मौलिक संरचना (Mg, Al, Si, K, Ca, Ti, Fe) को निर्धारित करने में मदद करेगा।
pragyan rover

Vikram Lander क्या है विक्रम लैंडर

चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए प्रज्ञान रोवर को सीधा नहीं भेजा जा सकता है इसके लिए एक लैंडर की आवश्यकता होती है जो रोवर को सुरक्षित पहुंचा सके। यह बॉक्स के आकार का होता है, जिसमें चार लैंडिंग लेग (पैर) और चार लैंडिंग थ्रस्टर्स होते हैं जो प्रत्येक 800 न्यूटन का थ्रस्ट पैदा करने में सक्षम होते हैं। लैंडर का प्रमुख काम ऑन-साइट विश्लेषण करने के लिए रोवर और विभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों को इसमें सुरक्षित ले जाया जा सकता है।
चंद्रयान-3 के लैंडर में चार वेरिएबल-थ्रस्ट इंजन लगे हुए थे, जिनमें स्लीव रेट बदलने की क्षमता है। चंद्रयान-3 लैंडर 3 दिशाओं में रुख मापने की अनुमति देने के लिए लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर (एलडीवी) से लैस है। चंद्रयान-2 की तुलना में इस बार विक्रम लैंडर के पैरों को मजबूत बनाया गया है और उपकरण अतिरेक में सुधार किया गया है। लैंडर के ऊपर कैमरे भी लगे होते हैं जो रोवर के बाहर निकलने पर उसके कार्य की सूचना लॉन्च केंद्र पर भेजते हैं।

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Vikram Lander में तीन Payloads लगे हुए हैं –

  1. RAMBHA-LP (Langmuir Probe) यह उपकरण निकट-सतह प्लाज्मा (आयनों और इलेक्ट्रॉनों) के घनत्व और समय के साथ इसके परिवर्तनों को मापने में मदद करता है।
  2. ChaSTE (Chandra’s Surface Thermophysical Experiment) इससे इसरो ध्रुवीय क्षेत्र के निकट चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों का मापन कर सकता है।
  3. ILSA (Instrument for Lunar Seismic Activity) यह उपकरण लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंपीयता को मापने और चंद्र परत और मेंटल की संरचना को चित्रित करने में मदद करता है।
vkram lander

Propulsion Module क्या है प्रोपल्शन मॉड्यूल

जिस प्रकार प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर के अंदर रखा हुआ होता है और विक्रम लैंडर प्रज्ञान रोवर को सुरक्षित लैंडिंग करवाने में सक्षम होता है उसी प्रकार विक्रम लैंडर को सुरक्षित लैंडिंग करवाता है प्रोपल्शन मॉड्यूल। अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण बात, प्रोपल्शन मॉड्यूल है, जिसे ऑर्बिटर भी कहा जाता है, जो चंद्रमा का चक्कर लगाता है। यह पृथ्वी से आने वाले प्रकाश का निरीक्षण करता है और सूर्य के अलावा अन्य तारों का चक्कर लगाने वाले सुदूर ग्रह की प्रकृति को समझने में मदद करता है।

Propulsion Module में एक ही Payload लगा हुआ है –

  1. SHAPE (Spectro-polarimetry of Habitable Planet Earth) यह Propulsion में एकमात्र पेलोड है जो निकट-अवरक्त (एनआईआर) तरंग दैर्ध्य रेंज (1-1.7 माइक्रोन) में रहने योग्य ग्रह पृथ्वी के स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्रिक हस्ताक्षरों का अध्ययन करने में मदद करेगा।
propulsion module

Chandrayaan-3 Shiv Shakti Point – क्या है शिव शक्ति पॉइंट

26 अगस्त 2023 को कर्नाटक के बेंगलुरु में देश के तीसरे चंद्र मिशन से जुड़े इसरो कर्मचारियों को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा की कि Chandrayaan-3 Touchdown Point चंद्रयान-3 के टचडाउन पॉइंट (यानि जहाँ विक्रम लैंडर ने चन्द्रमा पर लैंड किया था उस जगह) को ‘शिव शक्ति’ (Shiv Shakti) कहा जाएगा। प्रधान मंत्री ने यह भी घोषणा की कि जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने अपने पदचिह्न छोड़े थे, उसे ‘तिरंगा’ (Tiranga) कहा जाएगा। चंद्रयान-3 की 23 अगस्त 2023 को सफल लैंडिंग होने के पश्चात प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने यह भी घोषणा की कि 23 अगस्त को राष्ट्रीय स्पेस दिवस (23 August National Space Day) के रूप में मनाया जायेगा।

chandrayaan-3 shiv shakti point

Scientists Behind Success of Chandrayaan-3

  1. S. Somanath, Chairman, ISRO
  2. P Veeramuthuvel, Project Director
  3. S Unnikrishnan Nair, Director, Vikram Sarabhai Space Centre
  4. B N Ramakrishna, Director, ISTRAC
  5. S Mohana Kumar, Mission Director
  6. M Sankaran, Director, U R Rao Satellite Centre
  7. Kalpana K, Deputy Project Director
  8. Muthayya Vanitha, Deputy Director, UR Rao Satellite Center
  9. Ritu Karidhal Srivastava, Senior scientist, ISRO
chandrayaan-3 scientists

Chandrayaan-3 Mission 14 दिन का है चंद्रयान-3 मिशन

चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों का है। दरअसल, चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। जब यहां रात होती है तो तापमान -100 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है। चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर और रोवर अपने सोलर पैनल्स से पावर जनरेशन कर रहे हैं। इसलिए वो 14 दिन तो पावर जनरेट कर लेंगे, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स भयंकर ठंड को 14 दिन तक झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे।

Chandrayaan-3 Soft Landing Phase

चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग 4 फेज में हुई – ISRO ने 23 अगस्त को 30 किमी की ऊंचाई से शाम 5 बजकर 44 मिनट पर ऑटोमैटिक लैंडिंग प्रोसेस शुरू की और अगले 20 मिनट में सफर पूरा कर लिया। चंद्रयान-3 ने 40 दिन में 21 बार पृथ्वी और 120 बार चंद्रमा की परिक्रमा की। चंद्रयान ने चांद तक 3.84 लाख किमी दूरी तय करने के लिए 55 लाख किमी की यात्रा की।

  1. Rough Breaking Phase रफ ब्रेकिंग फेज: लैंडर लैंडिंग साइट से 750 Km दूर था। ऊंचाई 30 Km और रफ्तार 6,000 Km/hr। ये फेज साढ़े 11 मिनट तक चला। इस दौरान विक्रम लैंडर के सेंसर्स कैलिब्रेट किए गए। लैंडर को हॉरिजॉन्टल पोजिशन में 30 Km की ऊंचाई से 7.4 Km दूरी तक लाया गया।
  2. Attitude Holding Phase ऐटीट्यूड होल्डिंग फेज: विक्रम ने चांद की सतह की फोटो खींची और पहले से मौजूद फोटोज के साथ कंपेयर किया। चंद्रयान-2 के टाइम में ये फेज 38 सेकेंड का था इस बार इसे 10 सेकेंड का कर दिया गया था। 10 सेकेंड में विक्रम लैंडर की चंद्रमा से ऊंचाई 7.4 Km से घटकर 6.8 Km पर आ गई।
  3. Fine Breaking Phase फाइन ब्रेकिंग फेज: यह फेज 175 सेकेंड तक चला जिसमें लैंडर की स्पीड 0 हो गई। विक्रम लैंडर की पोजिशन पूरी तरह से वर्टिकल कर दी गई। सतह से विक्रम लैंडर की ऊंचाई करीब 1 किलोमीटर रह गई।
  4. Terminal Decent टर्मिनल डिसेंट: इस फेज में लैंडर को करीब 150 मीटर की ऊंचाई तक लाया गया। सब कुछ ठीक होने पर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंड कराया गया।
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