Teachers Day : आज 05 सितम्बर शिक्षक दिवस, शिक्षकों की सराहना के लिए एक विशेष दिन है।
Teachers Day : 05 सितम्बर 2021 आज राष्ट्रीय शिक्षक दिवस है। 05 सितम्बर 1888 को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। पुरे भारत वर्ष में 05 सितम्बर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक भारतीय अकादमिक, प्रोफेसर, दार्शनिक और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने भारत के पहले उपराष्ट्रपति और भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।

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True Teachers are those who help us think for ourselves
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan…
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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस शिक्षक दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है –
Teachers Day : जब सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1962 में भारत के राष्ट्रपति बने, तो उनके कुछ छात्रों और दोस्तों ने उनसे 5 सितंबर को अपना जन्मदिन मनाने की अनुमति देने का अनुरोध किया। तब राधाकृष्णन ने जवाब दिया, मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय, यह मेरे लिए गौरव की बात होगी कि 5 सितंबर को Teachers Day शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। तब से उनके जन्मदिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
Sarvepalli Radhakrishnan Life Introduction : डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय: –
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेन्सी के चित्तूर जिले के तिरूत्तनी ग्राम के एक तेलुगुभाषी ब्राह्मण परिवार में 5 सितम्बर 1888 को हुआ था। उनका जन्म स्थान भी एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में विख्यात रहा है। डॉ. राधाकृष्णन के पिता का नाम सर्वपल्ली वीरासमियाह और माता का नाम सीताम्मा था। डॉ. सर्वपल्ली के पिता राजस्व विभाग में काम करते थे। 8 मई 1903 को 14 वर्ष की आयु में ही उनका विवाह सिवाकामू नामक कन्या के साथ हुआ । उस समय उनकी पत्नी की आयु मात्र 10 वर्ष की थी।

Honorary Degrees : डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को मिली उपाधियाँ व उपलब्धियाँ: –
जब डॉ. सर्वपल्ली यूरोप एवं अमेरिका प्रवास से पुनः भारत लौटे तो यहाँ के विभिन्न विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद उपाधियाँ प्रदान कर उनकी विद्वत्ता का सम्मान किया। सन 1928 में इनकी प्रथम मुलाक़ात पण्डित जवाहर लाल नेहरू से उस समय हुई, जब वह कांग्रेस पार्टी के वार्षिक अधिवेशन में सम्मिलित होने के लिये कलकत्ता आए हुए थे। यद्यपि सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय शैक्षिक सेवा के सदस्य होने के कारण किसी भी राजनीतिक संभाषण में हिस्सेदारी नहीं कर सकते थे, तथापि उन्होंने इस वर्जना की कोई परवाह नहीं की और वहां पर जमकर भाषण दिया। 1929 में इन्हें व्याख्यान देने हेतु ‘मानचेस्टर विश्वविद्यालय’ द्वारा आमन्त्रित किया गया। इन्होंने मानचेस्टर एवं लन्दन में भी कई व्याख्यान दिये। राधाकृष्णन की शिक्षा सम्बन्धी उपलब्धियों के दायरे में निम्नवत संस्थानिक सेवा कार्यों को इस प्रकार देखा जा सकता है –
- सन् 1931 से 1936 तक आन्ध्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहे।
- ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय में 1936 से 1952 तक प्राध्यापक रहे।
- कलकत्ता विश्वविद्यालय में आने वाले जॉर्ज पंचम कॉलेज के प्रोफेसर के रूप में 1937 से 41 तक कार्य किया।
- सन् 1939 से 1948 तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चांसलर रहे।
- 1946 में युनेस्को में भारतीय प्रतिनिधि के रूप में उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।
- 1953 से 1962 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के चांसलर रहे।
- 1931 में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा “सर” की उपाधि प्रदान की गयी थी।
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Dr. Sarvepalli Radhakrishnan’s Awards : अवार्ड्स – पुरस्कार
- Bharat Ratna – 1954 (भारत में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार)
- Order of Merit – 1963
- Order of the Aztec Eagle – 1954
- Peace Prize of the German Book Trade – 1961
- Templeton Prize – 1975
- Pour le Mérite for Sciences and Arts – 1954

Sarvepalli Radhakrishnan as Vice President : उपराष्ट्रपति के रूप में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन: –
सन 1952 में सोवियत संघ से आने के बाद डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली उपराष्ट्रपति निर्वाचित किये गये। संविधान के अंतर्गत उपराष्ट्रपति का नया पद सृजित किया गया था। नेहरू जी ने इस पद हेतु राधाकृष्णन का चयन करके पुनः लोगों को चौंका दिया। उन्हें आश्चर्य था कि इस पद के लिए कांग्रेस पार्टी के किसी राजनीतिज्ञ का चुनाव क्यों नहीं किया गया। उपराष्ट्रपति के रूप में राधाकृष्णन ने राज्यसभा में अध्यक्ष का पदभार भी सम्भाला। सन 1952 में वे भारत के उपराष्ट्रपति बनाये गये। बाद में पण्डित नेहरू का यह चयन भी सार्थक सिद्ध हुआ, क्योंकि उपराष्ट्रपति के रूप में एक गैर राजनीतिज्ञ व्यक्ति ने सभी राजनीतिज्ञों को प्रभावित किया। संसद के सभी सदस्यों ने उन्हें उनके कार्य व्यवहार के लिये काफ़ी सराहा।

India’s Second President 1962-1967 : डॉ. राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में: –
डॉ. राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति (1962-1967) थे। अपनी सभी उपलब्धियों और योगदानों के बावजूद, डॉ राधाकृष्णन जीवन भर शिक्षक बने रहे।
Advaita Vedanta : अद्वैत वेदांत: –
राधाकृष्णन नव-वेदांत के सबसे प्रमुख प्रवक्ताओं में से एक थे। उनकी तत्वमीमांसा अद्वैत वेदांत पर आधारित थी, लेकिन उन्होंने समकालीन समझ के लिए अद्वैत वेदांत की पुनर्व्याख्या की। उन्होंने अनुभव की दुनिया की वास्तविकता और विविधता को स्वीकार किया, जिसे उन्होंने निरपेक्ष या ब्रह्म द्वारा समर्थित और समर्थित के रूप में देखा। राधाकृष्णन ने भी शंकर की माया की धारणा की पुनर्व्याख्या की। राधाकृष्णन के अनुसार, माया एक सख्त निरपेक्ष आदर्शवाद नहीं है, बल्कि “दुनिया की एक व्यक्तिपरक गलत धारणा है जो अंततः वास्तविक है।
05 September in Indian History : 05 सितम्बर को भारतीय इतिहास: –
- 1457 September 05 : संपत्ति कर पारित किया गया था।
- 1612 September 05 : ईस्ट इंडिया कंपनी की नौसेना पूर्वस्थापित।
- 05 September 1659 : छत्रपति शिवाजी महाराज की पत्नी रानी साईबाई का निधन हुआ था।
05 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय चैरिटी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
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शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) की सम्पूर्ण जानकारी देने के लिए धन्यवाद भाई जी 😍